सेन्ट्रल डेस्क- मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को 2011 के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें 1992 में चंदन की तस्करी के लिए छापेमारी के दौरान धर्मपुरी जिले के वाचथी गांव में आदिवासी महिलाओं के साथ बलात्कार और आदिवासी बस्तियों में तोड़फोड़ करने के लिए 200 से अधिक वन, राजस्व और पुलिस विभाग के अधिकारियों को दोषी ठहराया गया था। न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने राज्य को 18 बलात्कार पीड़ितों में से प्रत्येक को मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये का भुगतान करने, उन्हें या उनके परिवार के सदस्यों को उपयुक्त सरकारी नौकरी देने और आजीविका बढ़ाने के उपाय करने का भी आदेश दिया। 29 सितंबर को 215 लोगों को जेल भेज दिया।