देवरिया। नाम बदलकर एक व्यक्ति धरमखोर करन गांव का प्रधान बन गया। उसने प्रधानी के चुनाव में अपने अपराधिक रिकार्ड को छिपाकर शपथ पत्र दिया था। शिकायत पर डीएम ने इसकी जांच कराया तो मामला सही मिला। मामले में जिलाधिकारी ने कार्रवाई करते हुए मंगलवार को प्रधान अजय प्रताप यादव को बर्खास्त कर दिया। गांव में विकास कार्य के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है।
खामपार थाना क्षेत्र के धरमखोर गांव के रहने वाले जगरनाथ सिंह वर्तमान में दिल्ली सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में कार्यरत हैं। उन्होंने शिकायत किया था कि अजय प्रताप यादव अपना मूल नाम जयप्रकाश छिपाते हुए प्रधान बन गया है। उन्होंने शिकायती पत्र में लिखा था कि जय प्रकाश यादव ने गोरखपुर के मानीराम स्थित डीपीएस से हाई स्कूल और इंटर की परीक्षा पास किया। उसने गोरखपुर विश्व विद्यालय से स्नातकोतर किया। इसी बीच गोरखपुर में जय प्रकाश यादव अपराध जगत से जुड़ गया। उसके विरुद्ध गोरखपुर में कई मुकदमा दर्ज है। उसके विरुद्ध गैंगेस्टर की भी कार्रवाई हुई थी। बाद में जय प्रकाश यादव ने अपना नाम बदल कर अजय प्रताप यादव कर लिया। इसके बाद वर्ष 2009 में अजय प्रताप यादव नाम से एसबीसी दास एच. एस. एस. जे. मालीपुर देवरिया से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण किया। वर्ष 2011 में एम. एस. एस. डी. आई. सी. सहजौर विशुनपुरा देवरिया से 12वी की परीक्षा उत्तीर्ण किया है। उसने वर्ष 2015 में गांव के ग्राम प्रधान का चुनाव जय प्रकाश यादव के नाम से लड़ा, जिसमें वह हार गया था। इसके बाद उसने वर्ष 2021 में हुए पंचायत चुनाव में अजय प्रताप यादव के नाम से आधार कार्ड समेत अन्य कागजात बनाकर चुनाव लड़ा और जीत गया। चुनाव लड़ने के दौरान उसने अपने शपथ पत्र में अवपराधिक रिकार्ड के बारे में जानकारी नहीं दिया था। डीएम ने इसकी जांच जिला युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल के अधिकारी को दी। जांच में लगाए गए आरोप सही मिले। जांच अधिकारी की रिपोर्ट पर डीएम मंगलवार को ग्राम प्रधान अजय प्रताप यादव को बर्खास्त कर दिया। जिलाधिकारी ने ग्राम पंचायत के कार्यो के संचालन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है। कमेटी में ग्राम प्रचायत सदस्य सुभर सिंह, श्रीमती डेजी और नरेश साहनी शामिल हैं। तीनों लोग नए प्रधान के चुनाव होने तक विकाय कार्य को देखेंगे।
सीओ ने भी की थी मामले की जांच
जगरनाथ सिंह के प्रार्थना पत्र पर भाटपाररानी के तत्कालीन सीओ विनय कुमार यादव ने भी माले की जांच की थी। जांच में प्रधान अजय प्रताप यादव वास्तव में जय प्रकाश यादव निकला था। उसके विरुद्ध पुलिस द्वारा दर्ज आपराधिक मुअसं- 457/2014 धारा 384ए, 507, 411 व 120बी तथा अपराण्ध संख्या- 102 धारा 3(1) यूपी गैंगेस्टर एक्ट में चार्जशीट तथा गोरखपुर स्थित जनपद न्यायालय, विशेष न्यायधीश (गगेस्टर ) S / C- 889/020 के एफआईआर, चार्जशीट तथा गँगचार्ट से भी सत्यापित मिला था। इसी नाम से गोरखपुर कारागार में भी निरुद्ध रहा था। शाहपुर थाने में दर्ज अभियोग में अपना नाम जयप्रकाश यादव के नाम से हस्ताक्षर बनाया है। सीओ की जांच के बाद जालसाजी के इस मामले में जगरनाथ सिंह की तहरीर पर खामपार पुलिस ने जयप्रकाश यादव उर्फ अजय प्रताप पुत्र विष्णुदेव यादव निवासी धमरखोर करन थाना खामपार जिला देवरिया के विरुद्ध धारा 419, 420, 465, 468, 471 आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
