आधिकारिक अधिसूचना जारी कर यूजीसी ने कहा कि यूजीसी के संज्ञान में आया है कि कुछ विश्वविद्यालय एमफिल (मास्टर ऑफ फिलॉसफी) कार्यक्रम के लिए नए आवेदन आमंत्रित कर रहे हैं। इस संबंध में यह ध्यान में लाना आवश्यक है कि एमफिल डिग्री एक मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है।
नई दिल्ली- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एमफिल प्रोग्राम को बंद कर दिया है। इस संबंध में यूजीसी ने एक अधिसूचना जारी कर जानकारी दी है। विश्वविद्यालयों को भी कहा गया है कि वो एमफिल प्रोग्राम में छात्रों का एडमिशन ना लें। आयोग का कहना है कि एमफिल डिग्री मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है। ऐसे में इस कोर्स में छात्रों का एडमिशन बंद होना चाहिए।
यह घटनाक्रम पाठ्यक्रम को रद्द करने के बाद आया है, जिसके बावजूद कुछ विश्वविद्यालय इसे पेश करने पर अड़े हुए हैं। यूजीसी के इस आदेश के बाद अधिकतर लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि एमफिल अब वैध डिग्री क्यों नहीं है? जो छात्र अकादमिक या शोध क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं उनके लिए आगे क्या है? जानें एमफिल अब मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं रही है, इसके पीछे मुख्य कारण क्या है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट की मानें तो उच्च शिक्षा संस्थानों को एमफिल कार्यक्रमों की पेशकश नहीं करने का निर्देश दिया गया था। आयोग ने इससे पहले घोषणा की थी कि सभी विश्वविद्यालयों में पेश किए जाने वाले उन्नत अनुसंधान पाठ्यक्रम अब वैध नहीं होंगे। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय के अधिकारियों को 2023-2024 शैक्षणिक वर्ष के लिए एमफिल कार्यक्रम में नए छात्रों को स्वीकार करने से रोकने के लिए तुरंत कदम उठाने के लिए कहा गया है। माना जा रहा है कि तमिलनाडु और कर्नाटक को छोड़कर पूरे देश में विश्वविद्यालयों ने कार्यक्रम की पेशकश बंद कर दी है।
वहीं बुधवार को एक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर यूजीसी ने कहा कि यूजीसी के संज्ञान में आया है कि कुछ विश्वविद्यालय एमफिल (मास्टर ऑफ फिलॉसफी) कार्यक्रम के लिए नए आवेदन आमंत्रित कर रहे हैं। इस संबंध में यह ध्यान में लाना आवश्यक है कि एमफिल डिग्री एक मान्यता प्राप्त डिग्री नहीं है। अधिसूचना में यूजीसी (पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रियाएं) विनियम 2022 के विनियम संख्या 14 का जिक्र कर कहा गया कि उच्च शिक्षण संस्थानों को एमफिल कार्यक्रमों की पेशकश करने से रोकता है।